एक ने कही दूजे ने मानी। नानक कहे दोनों ज्ञानी।।
पाश की एक छोटी कविता और आपके लिए:—
(‘संविधान”—कवि पाश)
संविधान / यह पुस्तक मर चुकी है / इसे मत पढ़ो
इसके लफ़्ज़ों में मौत की ठण्डक है / और एक-एक पन्ना / ज़िन्दगी के अन्तिम पल जैसा भयानक / यह पुस्तक जब बनी थी
तो मैं एक पशु था / सोया हुआ पशु / और जब मैं जागा / तो मेरे इन्सान बनने तक / ये पुस्तक मर चुकी थी / अब अगर इस पुस्तक को पढ़ोगे / तो पशु बन जाओगे / सोए हुए पशु ।
एक ने कही दूजे ने मानी। नानक कहे दोनों ज्ञानी।।
पाश की एक छोटी कविता और आपके लिए:—
(‘संविधान”—कवि पाश)
संविधान / यह पुस्तक मर चुकी है / इसे मत पढ़ो
इसके लफ़्ज़ों में मौत की ठण्डक है / और एक-एक पन्ना / ज़िन्दगी के अन्तिम पल जैसा भयानक / यह पुस्तक जब बनी थी
तो मैं एक पशु था / सोया हुआ पशु / और जब मैं जागा / तो मेरे इन्सान बनने तक / ये पुस्तक मर चुकी थी / अब अगर इस पुस्तक को पढ़ोगे / तो पशु बन जाओगे / सोए हुए पशु ।