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// सबसे ख़तरनाक // ( कवि: पाश ) मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती / पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती / ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है / सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है सबसे ख़तरनाक नहीं होता / कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है / जुगनुओं की लौ में पढ़ना / मुट्ठियां भींचकर बस वक्‍़त निकाल लेना बुरा तो है / सबसे ख़तरनाक नहीं होता सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना / तड़प का न होना / सब कुछ सहन कर जाना / घर से निकलना काम पर / और काम से लौटकर घर आना सबसे ख़तरनाक होता है / हमारे सपनों का मर जाना / सबसे ख़तरनाक वो घड़ी होती है / आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो / आपकी नज़र में रुकी होती है सबसे ख़तरनाक वो आंख होती है / जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्‍बत से चूमना भूल जाती है / और जो एक घटिया दोहराव के क्रम में खो जाती है / सबसे ख़तरनाक वो गीत होता है / जो मरसिए की तरह पढ़ा जाता है / आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर / गुंडों की तरह अकड़ता है / सबसे ख़तरनाक वो चांद होता है जो हर हत्‍याकांड के बाद / वीरान हुए आंगन में चढ़ता है / लेकिन आपकी आंखों में / मिर्चों की तरह नहीं पड़ता

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