शब्द हुए हैं मौन, हृदय व्यथित मन भारी
छलके आंखों में अश्रु बिंदु, दिल में तस्वीर तुम्हारी
नहीं भूल पाएंगे तुमको, जब तक जान हमारी
रोम रोम है ऋणी आपका, अंतिम अरदास हमारी। आदरणीय आपको सादर नमस्कार। जीवन यात्रा ईश्वर की जाती, ये घटती है न बढ़ती है। जितनी जिसे मिलीं हैं सांसें बस उतनी ही चलतीं हैं।
श्रद्धांजलि
शब्द हुए हैं मौन, हृदय व्यथित मन भारी
छलके आंखों में अश्रु बिंदु, दिल में तस्वीर तुम्हारी
नहीं भूल पाएंगे तुमको, जब तक जान हमारी
रोम रोम है ऋणी आपका, अंतिम अरदास हमारी। आदरणीय आपको सादर नमस्कार। जीवन यात्रा ईश्वर की जाती, ये घटती है न बढ़ती है। जितनी जिसे मिलीं हैं सांसें बस उतनी ही चलतीं हैं।