जब फ़ितरत को समझने की होशियारी ना होगी , तब-तब फ़रेब खाने का ग़म और लाचारी होगी ,
श़ुक्रिया !
You must be logged in to post comments.
जब फ़ितरत को समझने की होशियारी ना होगी ,
तब-तब फ़रेब खाने का ग़म और लाचारी होगी ,
श़ुक्रिया !