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4 Sep 2020 01:15 PM

देश सेवा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वालों के लिए ही तो कहा गया है,”मुझे ना जाना गंगा सागर, मुझे ना रामेश्वर काशी, चित्तौड़ देखने को मेरी आंखें प्यासी! जहां पर देश के अभिमान की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान गया है।
आपकी भावनाओं को प्रणाम करता हूं सर्द्धेय।

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आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

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