मैंने अपने लेख में स्पष्ट किया है कि व्यवसाय के लिए हमें जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। प्रथम पूंजी की व्यवस्था द्वितीय संसाधनों की आवश्यकता उसके पश्चात आने वाले संकटों और बाधाओं का निराकरण तत्पश्चात व्यवसाय में आने वाली विभिन्न कठिनाइयों अर्थात निवेशित पूंजी का सदुपयोग एवं प्रबंधन मे आने वाली कठिनाइयों का सामना इन समस्त संघर्षों का सामना करने पर ही सफल व्यवसायी बनने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। हमें सकारात्मक सोच से पहल करने की आवश्यकता है यदि हम नकारात्मक सोच लेकर किसी कार्य को निष्पादित करने का प्रयत्न करते हैं तो उसमें अपेक्षित सफलता मिलने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। संघर्ष ही जीवन है बिना संघर्ष के कुछ भी हासिल नहीं होता यह एक अकाट्य सत्य है।
मैंने अपने लेख में स्पष्ट किया है कि व्यवसाय के लिए हमें जोखिम उठाने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। प्रथम पूंजी की व्यवस्था द्वितीय संसाधनों की आवश्यकता उसके पश्चात आने वाले संकटों और बाधाओं का निराकरण तत्पश्चात व्यवसाय में आने वाली विभिन्न कठिनाइयों अर्थात निवेशित पूंजी का सदुपयोग एवं प्रबंधन मे आने वाली कठिनाइयों का सामना इन समस्त संघर्षों का सामना करने पर ही सफल व्यवसायी बनने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। हमें सकारात्मक सोच से पहल करने की आवश्यकता है यदि हम नकारात्मक सोच लेकर किसी कार्य को निष्पादित करने का प्रयत्न करते हैं तो उसमें अपेक्षित सफलता मिलने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। संघर्ष ही जीवन है बिना संघर्ष के कुछ भी हासिल नहीं होता यह एक अकाट्य सत्य है।