सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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31 Jul 2020 07:04 PM
जयश्री कृष्ण
चंचल मन, भांति-भांति के सपनों में खोया रहता
वो भी क्या दिन थे,जब मनचाहा घुमा-खाया,
इस कोरोना ने इन सब पर प्रतिबंध लगवाया,
दूर इसके होते-होते, मैं भजन करता कन्नैया,
बिना भोग लगाएं खुद न चखुंगा,हे नटवर नागर नाग नच्चया।