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कौन है मुजरिम तर्क- ए -वफ़ा का
आप भी नादिम हैं हम भी पशेमाँ ।
अब जो करूं इज़हार -ए -तमन्ना
हाथ तुम्हारा मेरा गिरेबाँ ।
इश्क को दुनिया खेल न समझे
काम है मुश्किल नाम है आसाँ ।
वाह रे जाहिद तेरी दोरंगी
दिन को फरिश्ता रात को इंसाँ ।

श़ुक्रिया !

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सादर प्रणाम धन्यवाद सर।

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