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7 Jun 2020 02:00 PM

हर्ष का विषय है कि ओज और शौर्य से ओतप्रोत ,वीर रस की रचनाओं में भी उतनी ही निष्णात है ,जितनी की अन्य भावों में ।व्यक्तिगत रूप से मुझे अब तक की सबसे अच्छी कविताओ में से एक।

तुम्हारा धीरज
जब खोने लगे,
और ये श्रृंगार
बोझ लगने लगे…
तुम प्रतिरक्षा करना
चुप मत रहना….

इस भाव मे जो दृढ़ता है, जो आत्मविश्वास है,सामर्थ्यता का बोध है वह नयी पीढ़ी का विपरीत परिस्थितियों में मार्ग दर्शन भी करेगा और सम्बल भी प्रदान करेगा।

अत्यंत प्रभावी और स्पष्ट सम्बोधन सर्व गुण सम्पन्न स्त्रियों को यह स्मरण कराने के लिये कि भारतीय नारियों में प्रतिकार व अन्याय का विरोध का एक नैसर्गिक अंश है जिसे राजपूताने की वीरागनाओं ने सनातन काल से प्रदर्शित किया है ।
इतना अच्छा लिखने के लिये एक बार पुनः सादर नमन।

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7 Jun 2020 03:49 PM

Thankyou very much

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