वरुणेन्द्र सिंह राधेय
Author
10 May 2020 12:15 PM
सत्य व तार्किक।
सूक्ष्म एवं सराहनीय विश्लेषण। वास्तव में हमारी अच्छाई या बुराई का निश्चय धर्मसंकट के समय हमारे द्वारा चुने गए पथ से ही होता है। विभिन्न परिस्थितियों में मनुष्य का धर्म भी भिन्न हो जाता है।