कितना खुशगवार था बचपन अल्हड़ भरी नादानी का । दुबक रजाई में सुनते थे किस्से दादी नानी का ।
शानदार प्रस्तुति । वंदनीय ।
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?हार्दिक आभार, मान्यवर!
कितना खुशगवार था बचपन
अल्हड़ भरी नादानी का ।
दुबक रजाई में सुनते थे
किस्से दादी नानी का ।
शानदार प्रस्तुति ।
वंदनीय ।