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जिंदगी भर भटकता रहा वो बेगैरत हुस्न के बेरूह उजालों में ।
अपने अज़ीज़ों की ऱूह के ऩूर से बेख़बर फ़रेबी सऱाबों में ।
श़ुक्रिया ।

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