“कस्तूरी नाभी बसे, मृग ढूंढत वन माहि।” सुक़ूम वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।” एक सुंदर तार्किक रचना के लिए बधाई। 👌👌
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Thank you so much for your kind words!!
Most welcome
“कस्तूरी नाभी बसे, मृग ढूंढत वन माहि।”
सुक़ूम वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।”
एक सुंदर तार्किक रचना के लिए बधाई। 👌👌