Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

सुरेश सांगवानजी ने अपने प्रतिक्रियावादी काव्य से विचलित अवसरवादी नियति बद्ध मुहब्बत के अनछुये पहलुओं पर सार्थक चोट की है। दिल के गहरे पर्त तक की छटपटाहट को निर्णयात्मक मोड़ तक लाने में दृढ़ इच्छाशक्ति का संबल दिया है। इनके चिन्तन में स्वावलंबी दर्शन भी है। मेरी शुभकामना इनके व इनकी लेखनी के बढ़ते पायदानों के साथ है।

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...