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प्रतियोगिता ने मुझे हिन्दी भाषा में साहित्य रचना के लिए उत्प्रेरित किया । हिन्दी साहित्य मे सघन और सक्रिय रूप मे सहभागिता के लिए मुझ मे प्राण भी भरा है । मेरी मातृभाषा मैथिली, स्कूल की शिक्षा की भाषा नेपाली, काँलेज मे शिक्षा की भाषा अंग्रेजी, रोजगार की भाषा नेपाली, पाठ्यपुस्तक लेखन की भाषा अंग्रेजी, बहुभाषीयों से संवाद की भाषा हिन्दी और नेपाली, साहित्य की भाषा मैथिली, हिन्दी और नेपाली रही है । सन् 1996 में कादम्बिनी में मेरी पहली कविता प्रकाशित हुई थी , उसके बाद हिन्दी प्रति आश जगी । आज उसी आश को मूर्त रूप देने मे साहित्यपेडिया टिम ने जो सकारात्मक भूमिका निर्वाह करी है, उसके लिए विनम्र आभारी हूँ , हार्दिक नमन के धन्यवाद ।

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भाई दिनेश आपने बहुत सुंदर तरीके से हिन्दी के प्रति अपने विचार रखे हैं भाषा कोई भी हो साहित्य का स्वरूप सभी भाषाओं में एक ही बात निहित होती है और वो है सबके हित की बात। जो आपके लेखन से सक्रिय भूमिका निभा रही है

नमस्कार ! मेरे भाव और शैली को पसंद करते हुए मुझे उत्प्रेरित करने के लिए आपके प्रति आभारी हूँ । हार्दिक धन्यबाद !

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