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कर्ण साहब, आपकी पुस्तक प्रकाशन के लिए बहुत बहुत बधाई। पुस्तक का शीर्षक बहुत ही व्यवहारिक है, वर्तमान के समानांतर है। महारथी कर्ण जैसा वीर योद्धा ही समाज की इस प्रकार की व्यवहारिकता को महसूस कर सकता है।
नमस्कार..💐

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बहुत बहुत धन्यवाद एवं सादर अभिवादन आपको प्रशांत जी💐

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