ये रंज नहीं, अब अजीवित हूँ, अभिमान मुझे अब इसका है, कि तेरे यौवन-रस की गगरी भी, मैंने पराग से, ख़ाली कर दी
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ये रंज नहीं, अब अजीवित हूँ,
अभिमान मुझे अब इसका है,
कि तेरे यौवन-रस की गगरी भी,
मैंने पराग से, ख़ाली कर दी