कुछ भी तो नहीं है बदला,कैसा है यह नया साल वही सर्द की रात ठिठुरती, वैसे ही मौसम बहाल कुछ तो बदलाव दिखलाते,तो नव वर्ष हम मनाते नव वर्ष तो चैत्र में होती,लगती प्रकृति भी कमाल। अभिषेक श्रीवास्तव शिवाजी
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कुछ भी तो नहीं है बदला,कैसा है यह नया साल
वही सर्द की रात ठिठुरती, वैसे ही मौसम बहाल
कुछ तो बदलाव दिखलाते,तो नव वर्ष हम मनाते
नव वर्ष तो चैत्र में होती,लगती प्रकृति भी कमाल।
अभिषेक श्रीवास्तव शिवाजी