Manisha Manjari
Author
9 Sep 2022 09:48 AM
बहुत बहुत आभार शेखर जी सचमुच आप सब इतना प्रोत्साहित करते हैं जिसकी कभी स्वप्न में भी कल्पना नहीं की थी मैंने।इतनी हौसलाअफजाई के लिए हृदय से धन्यवाद 🙏🙏🙏
9 Sep 2022 11:08 AM
जी शुक्रिया 🙏🙏🙏
स्वयं के अक्स की पहचान, धूमिल सी हो जाती है,
विपत्तियों की गाठें जब, जीवन की डोर में लग जाती हैं। इस रचना की शुरुवात ही अंतर्मन को कुरेद देती है।सही मायने में कलम बिलकुल ऐसी ही हो जो समाज के दुःख दर्द खुशिया का प्रतिनिधत्व करती हो।आपकी रचना हमारे अंदर की संवेदना को दर्शाती है। जबरदस्त बहोत ही उम्दा साहित्यकृति🙏🙏🙏