बहुत सुंदर विचार, आपको सादर अभिवादन, इस संबध में मैं अपनी दो पंक्तियां आपको समर्पित करना चाहता हूं।
एक पते की बात बताऊं,वंदे माने या न माने।
खुद को जो न जान सके,वह खुदा को क्या पहचाने।।
आपका लेख बहुत सुंदर लगा, सही कहा आपने, मेरा सर मंदिर मस्जिद चर्च गुरद़ारा सभी में उस ईश्वर अल्लाह के विविध नाम और स्वरूप में झुकता है। दुनिया के सभी इंसानों को उसकी प्रेम और भाईचारे शांति की शिक्षाओं पर अमल करने की जरूरत है। खुदा हाफ़िज़।
बहुत सुंदर विचार, आपको सादर अभिवादन, इस संबध में मैं अपनी दो पंक्तियां आपको समर्पित करना चाहता हूं।
एक पते की बात बताऊं,वंदे माने या न माने।
खुद को जो न जान सके,वह खुदा को क्या पहचाने।।
आपका लेख बहुत सुंदर लगा, सही कहा आपने, मेरा सर मंदिर मस्जिद चर्च गुरद़ारा सभी में उस ईश्वर अल्लाह के विविध नाम और स्वरूप में झुकता है। दुनिया के सभी इंसानों को उसकी प्रेम और भाईचारे शांति की शिक्षाओं पर अमल करने की जरूरत है। खुदा हाफ़िज़।