सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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29 Nov 2021 12:36 PM
आपको सादर प्रणाम, बहुत दिनों बाद आपका, कमेंट पढ़ने मिला, बहुत अच्छा लगा। सादर प्रणाम।
चतुर्वेदी जी,आपका चिंतन आपकी लेखनी को परिलक्षित करती है, आज कुछ जायज लिखना, उपदेश की श्रेणी में रखा जाने लगा है! फिर भी जिन्हें अपना दायित्व निभाना होता है वह अविराम पथिक की तरह चलते रहते हैं!