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5 Nov 2021 08:26 AM

थोड़ा सॅंभलकर रहें…. यूॅं ही पागल न बनें…. तो फिर डर किस बात का….? बस, यही तो जीवन है….!! बहुत सुंदर लिखी हैं ! रचना दीवानगी की हद को बयां कर रही है !!! ??

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5 Nov 2021 08:38 AM

जीवन तो हजारों उलझनों में उलझा रहता है एक दिल ही है जो इसके वावजूद भी आजाद ही जाता है

5 Nov 2021 09:05 AM

उलझनों से उलझते रहें !
दिल की ज़रा सुनती रहें !
उलझनें आती-जाती रहेंगी !
धड़कनें घटती-बढ़ती रहेंगी !
ख़्वाबों में स्वच्छंद उड़ान भरते रहेंगे !
बस, थोड़ी सी पाबंदियां बरतने पड़ेंगे !!
भावनाओं में उड़ें पर इस जमीं को ना छोड़ें ! क्योंकि हमारे पास वो पंख नहीं हैं कि हम पक्षियों की तरह उड़ें ! फिर भी भावनाओं में अवश्य ही उड़ें ! जब हम सपने देखेंगे तो उनमें से ही कुछ साकार हो सकेंगे !! ये ज़िंदगी बहुत ही खूबसूरत है ! किसी ग़म के साये में ना जियें ! हर खूबसूरत पल को खुलकर जियें ! इस ज़िंदगी का सफ़र बहुत ही लंबा है ! आपके सारे अरमां अवश्य ही पूरे होंगे !!! चल रहे पर्व-त्योहारों की बहुत बहुत शुभकामनाएं…. ????

5 Nov 2021 09:58 AM

धन्यवाद् सर

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