पंकज कुमार कर्ण
Author
29 Sep 2021 09:40 PM
इन सब बातों से मेरी रचना ,”चांद तो हमारा है ” जैसे सीख देने वाली रचना जो यह बताती है की धरती वासी किस प्रकार पृथ्वी को तबाह कर रहा है, और चांद पर अब नजर गड़ा रहा है।, का क्या वास्ता।
वैसे समीक्षा के लिए धन्यवाद?
पंकज कुमार कर्ण
Author
29 Sep 2021 10:26 PM
हो सकता है छंद मुक्त हो।
पहले तो यह बतादें कि चन्द्रमा का कोई हिस्सा हमेशा अँधेरे में नहीं रहता है। केवल पृथ्वीवासियों को ऐसा महसूस होता है जो वहाँ जाकर परख सकते हैं।
मैंने जो _चलो चाँद पर झुला डालें.. शीर्षक से काव्य रचना की तो उसमें निहित भावों को समझना जरूरी था।
जब किसी कविता में छिपे भाव का रसास्वादन नहीं कर सके तो फिर कविता पढ़ना ही बेकार है,
काव्य सृजन का यथार्थ की बातों से साहचर्य हो ही, ये कोई आवश्यक नहीं है,
कुछ काल्पनिक होती है, लेकिन उद्देश्यविहीन नहीं होनी चाहिए,
ये रचना लिखी गई थी सामाजिक रिश्तों और संस्कारों के बदलते परिवेश को लेकर जिसमें शादी-विवाह जैसी पुरानी मान्यताएं भी छिन्न-भिन्न हो रही है और प्रेम का अलौकिक स्वरूप अब गौण हो गया है। महानगरों में लोग लिव-इन-रिलेशनशिप पर ज्यादा जोर दे रहे हैं और इसी कारण सुशांत सिंह राजपूत को जान गंवाना पड़ा!