पंकज कुमार कर्ण
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29 Sep 2021 06:46 PM
मोबाइल भी है किताब का रूप।
अगर न बनाए कोई इसे कुरूप।
प्रयोग करो जो, संभल कर इसे;
बदल देगा यह, आपका स्वरूप।
समीक्षा के लिए धन्यवाद ,आपका ?
मोबाइल से नाता तोड़ो तुम ,
किताब से नाता जोड़ो तुम।
सुन्दर प्रस्तुति।