भारत में कहां छूट है जनाब है ! बहुत सारे हिस्सों में बुर्के से शरीर ढका होता है, बुर्का को तो प्रतिबंधित करवाइए, यूरोप के कई देशों ने बुर्का को पहनने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसमें नीदरलैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और डेनमार्क शामिल हैं।स्विट्जरलैंड ने तो बाकायदा रेफरेंडम कर लोगों से बुर्के को प्रतिबंधित करने पर राय भी मांगी थी। इस जनमत संग्रह में 51 फीसदी से ज्यादा लोगों ने बुर्का को प्रतिबंधित करने के पक्ष में वोटिंग की थी।
श्रीमान-आपके इस विचार से मैं सहमत हूँ ।
पर्दा प्रथा हो बुर्का दोनों एक ही बात है । विरोध तो अवश्य होना चाहिए । बुर्का भी बंद होगा यदि शिक्षा का प्रसार हो, जागरूकता फैलाई जाए तो यह भी संभव होगा ।????
श्रीमान –
मैं भी इस भारत में रहती हूँ, ध्यान रहे… किसी भी रचनाकार की; हर रचना उसकी भोगी हुई अवस्था का द्योतक है। ये रचना काल्पनिक नही है!
श्रीमान कुछ दिन पहले की घटना है, बेशक आपने पढ़ी होगी
इस आधुनिक समाज में भी हर वक्त; हमें हमारे लिवास से आंका जाता है। राजस्थान की एक घटना है, जहां पत्नी के सिर पर घूँघट ना होने की वजह से; पति ने अपने बच्चे को गोद में लिया और उसे जमीन पटक दिया और बच्चे की मृत्यु हो गई? अब बताइए क्या घुंघट बच्चे की जान से ज्यादा कीमती थी? उसका पति बस यह चाहता था कि उसकी पत्नी को एक ऐसा सबक मिले कि वह दोबारा घूँघट किए बिना बाहर ना निकले ! क्या यह घूँघट जबरदस्ती का थोपा हुआ बंधन नहीं है? क्या वह पत्नी अब दुबारा घूंघट रख पाएगी? मेरी यह कविता इस प्रश्न का जवाब देते हुए लिखी गई है; उम्मीद करती हूं कि आप सभी सहमत होंगे!
बिल्कुल सहमत हैं।
ऐसे हुई थी भारत में घूंघट प्रथा की शुरुआत।
पुराने समय में महिलायें गाँव में भी, बिना चेहरा ढके काम करती थीं | पुराने प्राचीन वेदों एवं धर्मग्रंथों में पर्दा प्रथा का कहीं भी विवरण नहीं मिलता है |यहां तक कि रामायण और महाभारत में भी कही पर भी घूंघट प्रथा का कोई जिक्र नहीं है
जब मुस्लिम शासक भारत में आये, तब यहाँ स्त्रियों के साथ जोर जबरदस्ती के मामले सामने आने लगे। इससे पहले रेप हमारे यहाँ कहीं नज़र नहीं आता। पर्दा प्रथा भी मुस्लिम शासकों के देश में आगमन होने के बाद ही नज़र आती है |
हिंदू स्त्रियों को सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से महिलाओं को सुरक्षा देना अब काफी जरूरी हो गया था | आये दिन महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा था, जिसके कारण पर्दा या घूंघट प्रथा की शुरुवात हुई थी |
मुस्लिम समाज की स्त्रियों में ये था, तो हमारे समाज ने भी खुलेपन को रोकने के लिए और अपनी महिलाओं को बुरी नजर से बचाने के लिए इसको लागू करवाया |
राजस्थान मुस्लिम शासकों के अत्याचार का सबसे बड़ा क्षेत्र रहा है, इसलिए वहां सबसे अधिक कड़ाई से घूंघट प्रथा का पालन करवाया गया। अब समय आ गया है पूरे देश में सभी समुदायों में इस प्रथा एवं बुर्का प्रथा के अंत हेतु कानून बने।
बिल्कुल सर, ?? अब समय आ चुका बदलाव का, शिक्षा के प्रसार का ।
बिल्कुल, आपकी कविता बदलाव को आमंत्रित करती है।
लेकिन अपवाद को मुख्य धारा नहीं मान सकते।
भारत विविधताओं का देश है, हर जगह अलग अलग प्रथा है।
इसी देश में कोई एक शादी तो कोई करता चार, कोई गऊ को मारता तो कोई करता उससे प्यार।
कोई अपने बच्चे नहीं पाल पाता कोई, कुता को भी पालता।
यहां हर चीज़ में बदलाव की जरूरत है।
यहां अपना एक संविधान है।
अपना अपना।
लिखते रहिए ,,,
हर दिशा में,
कहीं गांव की लज्जा दिखता तो कहीं गोवा की साज सज्जा दिखता।
ये भारत है, यहां हर चीज़ बिकता ।
जिसको जो लिबास पहनना है , पहनता ही है।
चाहे हिंदुस्तान हो या अफगानिस्तान,
मगर नजरें होती कोई हिंदुस्तानी तो कोई तालिबानी।
हर जगह होती अलग अलग परिणाम।
पूरी दुनिया से ये प्रश्न पूछिए, सिर्फ भारत में ही हर प्रश्न उठता, जहां सबको हर चीज़ की छूट है