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यदि आप 27 जून 2021 को प्रकाशित काव्य रचना “मौत हमसे हारेगी” की बात कर रहे हैं तो ऐसा लगता है कि आप मेरी उस काव्य रचना का भाव ठीक से समझ नहीं पाए।
मैंने तो यह भी लिखा है कि सत्य खातिर प्राण दूँगा, ये कहाँ लिखा है कि अमर हो गया हूँ।
आपसे प्रार्थना सहित अनुरोध है कि मेरी उस काव्य रचना को फिर से एक बार पूर्ण रूप से ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे, साथ ही उसके नीचे लिखे गए टिप्पणी को भी ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे कि इस काव्य रचना को किन परिस्थितियों और हालातों में किस उद्देश्य से लिखा गया तथा रचनाकार के भाव क्या है।
मेरा यह मानना है कि _
सत्य का दर्शन कर लेने एवं सत्य में विलीन हो जाने से मनुष्य को जीवन–मरण की श्रृंखला से मुक्ति मिल जाती है और इस प्रकार मौत पर विजय पाई जा सकती है।
धन्यवाद!

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