सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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9 Mar 2021 05:03 PM
बहुत सुंदर सर, आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
प्रेम सृष्टि का सार है । प्रेम सहज व्यवहार । जितना हो विस्तारिए ।यही मनुज व्यापार ।
परम उत्तम ।