roopesh srivastava kafir
Author
8 Feb 2021 11:25 AM
सादर आभार आदरणीय
तुम तो मेरे ख्व़ाबों में, ख्य़ालों में, दिलो जाँ से बढ़कर ऱुह में पाब़स्ता हो।
तुम्हें अपने से जुदा कैसे कर दूँ , तुम तो मेरी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा हो।
श़ुक्रिया !
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