श्रीमान चतुर्वेदी जी सादर अभिवादन, आपने लेख में प्रकट भाव को जानने के उपरांत वर्तमान परिवेश में राजनैतिक क्षरण पर खेद जताया है, यह इस ओर इशारा करता है कि इस समय जब पार्टी गौण हो गई है और नेता सर्वोपरि तो फिर इतने ज्यादा सांसद विधायक चुनने के बजाय सीधे नेता को ही चुना जाए फिर वह अपने अनुसार अपने सलाहकारों का चयन करके शासन सत्ता का संचालन करें, आखिरी जवाबदेही तो नेता को ही निभानी पड़ती है। फिर इतना तामझाम खड़ा करने की आवश्यकता ही नहीं है, यही मेरा आशय है।
श्रीमान चतुर्वेदी जी सादर अभिवादन, आपने लेख में प्रकट भाव को जानने के उपरांत वर्तमान परिवेश में राजनैतिक क्षरण पर खेद जताया है, यह इस ओर इशारा करता है कि इस समय जब पार्टी गौण हो गई है और नेता सर्वोपरि तो फिर इतने ज्यादा सांसद विधायक चुनने के बजाय सीधे नेता को ही चुना जाए फिर वह अपने अनुसार अपने सलाहकारों का चयन करके शासन सत्ता का संचालन करें, आखिरी जवाबदेही तो नेता को ही निभानी पड़ती है। फिर इतना तामझाम खड़ा करने की आवश्यकता ही नहीं है, यही मेरा आशय है।