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21 Dec 2020 08:58 AM

“शब्द सम्हारे बोलिए शब्द के हाथ न पांव एक शब्द औषधि करें एक शब्द करे घाव!!”
उक्त दोहा आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना लिखते वक्त रहा होगा!! तोल मोल कर बोल, बेवजह ना जवाब को खोल। यही भाव समरसता पैदा कर सकता है!! धन्यवाद सर जी!

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बहुत सुंदर सर नमस्कार धन्यवाद सर

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