सुरेश कुमार चतुर्वेदी
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21 Dec 2020 09:45 AM
बहुत सुंदर सर नमस्कार धन्यवाद सर
“शब्द सम्हारे बोलिए शब्द के हाथ न पांव एक शब्द औषधि करें एक शब्द करे घाव!!”
उक्त दोहा आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना लिखते वक्त रहा होगा!! तोल मोल कर बोल, बेवजह ना जवाब को खोल। यही भाव समरसता पैदा कर सकता है!! धन्यवाद सर जी!