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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग जो आजकल हो रहा है वह एक निकृष्ट कृत्य है।
किसी व्यक्ति विशेष के बारे में मिथ्या प्रचार कर चरित्र हनन की कुत्सित चेष्टाऐं आम बात हो गई है। किसी छोटी सी बात को तूल देकर पेश करना तथा झूठ को सच बनाने की कोशिश करना आजकल प्रसार माध्यमों की व्यक्तिगत स्वार्थ नीति बन गई है। सोशल मीडिया में भीड़ की मनोवृत्ति को बढ़ावा दिया जाता है ।जनसाधारण की व्यक्तिगत सोच पंगु होकर रह गई है। कुछ विशेष तत्व अपने आप को जनता के ठेकेदार मान चुके हैं और अपने अनर्गल प्रलाप से देश में कटुता हिंसा एवं अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इन सभी तत्वों को संगठित होकर करारा जवाब देने की आवश्यकता है। तभी हम देश की जनता में सहअस्तित्व की भावना एवं देश की अक्षुणःता बनाए रखने में सफल हो सकते हैं।

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सही बात है, आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर।

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