Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

बहुत खूब !
शोला था जल बुझा हूं पर मुझ में चिंगारी बाकी है ,
जब भड़केगी आग बनकर कर देगी राख सब जलाकर अभी वो जज़्बा बाकी है ,
खामोश माहौल से मुतमईन ना हो अभी तूफान का आगाज़ बाकी है ,

श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
15 Dec 2020 09:21 PM

Wah

Loading...