सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
6 Dec 2020 07:28 AM
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
शब्द पर विस्तृत व्याख्या और उसका मर्म बहुत उपयोगी है! आज ही एक और रचना पढ़ने को मिली ढाई आखर! यह शब्द उसी का एक मुखड़ा है! इसमें इतना कुछ समाया हुआ है कि सृष्टि भी उसी में निहित है!