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मुझे स्वप्नलोक में खोने दो, कुछ और अंधेरा होने दो। जी भर गया दुनिया दारी से, झूंठी इस आंगनवारी से।तेज चमकती भोरों से,शोर भरी इन शामों से। कुछ पल तो मैं सपनों में ले लूं, घनघोर तिमिर जा जाने दो कुछ और अंधेरा होने दो। बहुत सुंदर सर नमस्कार धन्यवाद आपका।

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11 Jul 2020 09:08 PM

वाह बहुत खूब

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