23 Jun 2020 10:39 AM
सर एक सुझाव है अगर आप इसे अन्यथा ना लें इस कविता में एक लाइन जो आपने लिखी है
माया मोह देह लिप्त जीव भटकता अविनाशी
अविनाशी की जगह बनवासी कर दे तो बहुत ही अच्छी हो जाएगी क्योंकि अविनाशी तो मात्र परमेश्वर ही हैं और परमेश्वर मोह माया में लिख नहीं हो सकते
23 Jun 2020 10:40 AM
लिख जगह लिप्त
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Author
23 Jun 2020 11:59 AM
साह साहब जीव भी अविनाशी है । हमारे शरीर मरते हैं ,जीव तो अमर है। आपको सादर अभिवादन धन्यवाद
आज भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा सुखद एवं सफलता प्राप्त हो जय जगदीश हरे