Rishi Saroj
Author
8 May 2020 11:42 AM
धन्यवाद जी
धन्यवाद जी
मजदूर ही नहीं मजबूर भी जो है,उसका यही तो कसूर है, कहने को सब अपने हैं,पर दिखते नहीं। यही इनकी व्यथा भी है, और यही इनकी कथा भी। आपकी भावनाओं को प्रणाम।