जीवित रखा है इस त्रिभुवन को,
हलक हलाहल धारण करके
नीलकंठ महादेव तुम ही हो,
कालों में महाकाल तुम ही हो।
सुन्दर रचना,?
लेकिन भोलेनाथ का बखान करते समय हलाहल विष का पान कर सारे जग को अमृत उपलब्ध कराने की महिमा का बखान काव्य रचना की खूबसूरती में चार चांद लगा देता,
हर हर महादेव
?