श्री मान जी जैसा आपने हैडिंग में कबीर बनाम तुलसी लिखा है, दोनो ही हर भारतीय के हृदय में बसते हैं, कबीर की वाणी साखी किसकी जवान पर नहीं है? एक सगुण भक्ति धारा को गाया तो एक ने निर्गुण राम को , दोनों ही संत सत्य के मार्ग पर चलने बाले थे।लोक जीवन में कबीर जन जन में बसे हुए हैं। कृपया ध्यान रखें।
तेरा मेरा मनवा कैसे एक होई रे..
रामचन्द्र शुक्ल और दयानंद सरस्वती ने कबीर पर क्या लिखा? कबीर की विद्रोही कविताएं पाठ्यक्रम में क्यों नहीं? तुलसी का इतना प्रचार क्यों किया जाता है?
Very good
शुक्रिया!