उनियाल जी आप हम ज्वलंत मुद्दे उठाते रहते है,मन को मसोज़ कर रह जाते है,रास्ता सूझता नहीं इन ज्वलंत मुद्दों का अंतिम समाधान कहां खोजे।
प्रणाम
धन्यवाद श्रीमान चतुर्वेदी जी,क्या हो गया है हमारे नेताओं को जो काम करने के बजाय लिपा पोती पर जुटीं हैं! सादर प्रणाम।
धन्यवाद श्रीमान श्याम सुंदर जी,जिन सरकारों को जनता अपने सुख में वृद्धि के लिए चुनती है वह सरकारें अपने दायित्वों से पल्ला झाड़ने लगे तो फिर क्या कर सकते हैं!सादर अभिवादन।
बर्तमान का सटीक चित्रण किया आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
वर्तमान लोकतंत्र की विडंबना की संदेशपूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद !
राजेश व्यास जी, हमें अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रयास जारी रखना चाहिए,हो सकता है कभी किसी के कानों में भनक लग जाए और अंतर आत्मा जाग जाए! अपने विचार व्यक्त करने के लिए आभार! सादर अभिवादन।