प्रेम समर्पण प्रेम ही दर्पण,
करना सब कुछ प्रेम से अर्पण।।
धड़के जब तक धड़कन।।
प्रणाम आदरणीय।
बहुत सुंदर सार जगत का प्रेमहै। धन्यवाद जी प्रणाम सर जी आपको बहुत बहुत रचना है।
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
अतिसुंदर व्याख्यापूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद ! ?
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
बेहतरीन प्रस्तुति