विकास के खोखले वादों पर भी जब धर्म की चाशनी चढ़ा कर, राष्ट्र भक्ति के नाम पर युवाओं का सम्मोहन करते हुए लोगों के मन मस्तिष्क में कुछ और नहीं शेष बचे के लिए अंधभक्त सूचनाओं का भ्रमजाल पैदा कर काम चल रहा है तो फिर कुछ सकारात्मक करने की आवश्यकता ही क्या है।
सर आपका अनुभवी ज्ञान मेरे लिखने से कहीं ज्यादा है । मैं जो महसूस कर रहा हूँ आप ये बहुत सालों से जीते आ रहे हो ।
सुन्दर विचार , सुन्दर अभिव्यक्ति । पर ये मोटे चर्मधारी कहां सुनेंगे।
ऐसा ही हो रहा है सोलंकी जी । हमारे सुविचार हमारी सरलता के बाद भी हम धोखा ही खाए जा रहे हैं। और धोखा सरल स्वभाव के ही हिस्से आता है ।भीतर की पीड़ा बाहर निकल आए ।यह ज़रूरी है । हमारे स्वभाव का सौंदर्य है।
कुछ सुधार हो न हो आशा तो जीवित रहती है ।आशा जीवन का आधार है । धन्यवाद न मिले न सही मन मिल जाए यही बहुत है । शुभकामनाएं।
शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद सर ।