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निश्चय ही यह उच्च सदन का एक काला दिन था

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

24 Sep 2020 04:39 AM

सुधर जाओ जनप्रतिनिधि ,कहती जनता अंतिम बार है।
पुनरावृत्ति अब न करना , यह अनुचित व्यवहार है ।
परोक्ष नहीं यह तो , प्रत्यक्ष ही जनता का अपमान है ।
किस मुंह से कहें दुनिया को हम कि मेरा भारत महान है ।
सुसंस्कारित कार्यों से , भारत विश्वगुरू कहलाता है ।
पता नहीं इस तरह का कुसंस्कार कहां से आता है ।
कवि महोदय को साधुवाद

आपने बहुत सुंदर लिखा है आपको सादर अभिवादन

23 Sep 2020 04:34 PM

बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
धन्यवाद !

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद

गुंडों को चुनकर संसद में लाओगे।
तो यही आचरण उनसे पाओगे।
राजनीति में गुंडों का बोलबाला है।
निरीह जनता का ना कोई रखवाला है।
नोटों से वोट खरीदे जाते हैं।
कर झूठे वादे पांच साल के लिए भूल जाते हैं।
पहले ये जनता के सामने हाथ जोड़ते हैं।
फिर लोग उनके पीछे हाथ जोड़ते फिरते हैंं।

धन्यवाद !

धन्यवाद !

कटु सत्य है। आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर

23 Sep 2020 07:42 AM

सुंदर चित्रण

आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर

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