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2 Nov 2018 02:38 PM
आदरणीय रवींद्र सिंह यादव जी की लेखनी का मैं कायल हूँ उनकी सधी हुई लेखनी और प्रयोगधर्मिता किसी भी रचनाकार से छिपी नहीं। और उनकी यह कृति भी उनके प्रयोधर्मिता का जीता-जागता उदाहरण है। आदरणीय रवींद्र जी को मेरी अशेष शुभकामनाएं ! सादर ‘एकलव्य’
रवीन्द्र सिंह यादव
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3 Nov 2018 09:56 PM
बहुत-बहुत आभार आदरणीय ध्रुव जी रचना की सराहना और मोहक टिप्पणी के लिये। प्रतियोगिता में शामिल आपकी रचना भी पढ़ी जो मेरे मन को द्रवित कर गयी।
आदरणीय रवींद्र जी, माँ पर लिखी गयी आपकी यह रचना सबसे अलग अंदाज में है।
सच कहे तो वर्ण पिरामिड में माँ के लिए लिखी गयी इतनी उत्कृष्ट रचना हम कभी नहीं पढ़े।
बेहद सराहनीय रचना है। उत्तम सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।
सादर
सादर आभार आदरणीया श्वेता जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया निस्संदेह वर्ण पिरामिड को लोकप्रिय बनायेगी।