सुरेश सांगवानजी ने अपने प्रतिक्रियावादी काव्य से विचलित अवसरवादी नियति बद्ध मुहब्बत के अनछुये पहलुओं पर सार्थक चोट की है। दिल के गहरे पर्त तक की छटपटाहट को निर्णयात्मक मोड़ तक लाने में दृढ़ इच्छाशक्ति का संबल दिया है। इनके चिन्तन में स्वावलंबी दर्शन भी है। मेरी शुभकामना इनके व इनकी लेखनी के बढ़ते पायदानों के साथ है।
सुरेश सांगवानजी ने अपने प्रतिक्रियावादी काव्य से विचलित अवसरवादी नियति बद्ध मुहब्बत के अनछुये पहलुओं पर सार्थक चोट की है। दिल के गहरे पर्त तक की छटपटाहट को निर्णयात्मक मोड़ तक लाने में दृढ़ इच्छाशक्ति का संबल दिया है। इनके चिन्तन में स्वावलंबी दर्शन भी है। मेरी शुभकामना इनके व इनकी लेखनी के बढ़ते पायदानों के साथ है।