गुंडों को चुनकर संसद में लाओगे।
तो यही आचरण उनसे पाओगे।
राजनीति में गुंडों का बोलबाला है।
निरीह जनता का ना कोई रखवाला है।
नोटों से वोट खरीदे जाते हैं।
कर झूठे वादे पांच साल के लिए भूल जाते हैं।
पहले ये जनता के सामने हाथ जोड़ते हैं।
फिर लोग उनके पीछे हाथ जोड़ते फिरते हैंं।
गुंडों को चुनकर संसद में लाओगे।
तो यही आचरण उनसे पाओगे।
राजनीति में गुंडों का बोलबाला है।
निरीह जनता का ना कोई रखवाला है।
नोटों से वोट खरीदे जाते हैं।
कर झूठे वादे पांच साल के लिए भूल जाते हैं।
पहले ये जनता के सामने हाथ जोड़ते हैं।
फिर लोग उनके पीछे हाथ जोड़ते फिरते हैंं।
धन्यवाद !
धन्यवाद !