प्रेम ही जगत सार है प्रेम ही है अभिमान निश्छल प्रेम हृदय में बढ़ता उसका मान । सुन्दर प्रेम प्रस्तुति।
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आपको सादर अभिवादन धन्यवाद सर
प्रेम ही जगत सार है प्रेम ही है अभिमान
निश्छल प्रेम हृदय में बढ़ता उसका मान ।
सुन्दर प्रेम प्रस्तुति।