लक्ष्य पर संधान कर! मनुष्य को अपने कर्तव्य का निर्वाह करते रहना है, बिना किसी परिणाम की इच्छा जताए! श्रीकृष्ण जी ने यही तो कहा!बस हम ही भटक रहे हैं मृगतृष्णा में! सादर प्रणाम श्रीमान चतुर्वेदी जी।
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आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
लक्ष्य पर संधान कर! मनुष्य को अपने कर्तव्य का निर्वाह करते रहना है, बिना किसी परिणाम की इच्छा जताए! श्रीकृष्ण जी ने यही तो कहा!बस हम ही भटक रहे हैं मृगतृष्णा में! सादर प्रणाम श्रीमान चतुर्वेदी जी।