oसंसार चाहिए
******हसीं घर बार संसार चाहिए******
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तेरे सिवा नहीं कोई हमें उपहार चाहिए,
हीरों जड़ा सदा आपाद प्यारा हार चाहिए।
जिंदा रहे वही स्वप्न सदा ही देखता रहा,
मजबूत प्यार की ऊंची मुझे मीनार चाहिए।
बरसात रात भर होती रही दिलदार नाम की,
बारिश भरी हमें शीलत बड़ी बौछार चाहिए।
बजती रहे यहाँ पायल सदा ही यार प्रेम की,
घुंघरू सी बजे जो भी वही हुंकार चाहिए।
तुमसे जुदा नही हरपल जुड़ा मनसीरत सदा,
वो आपसा हसीं घर-बार संसार चाहिए।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)