Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2024 · 1 min read

No amount of regret changes the past.

No amount of regret changes the past.

No amount of anxiety changes the future.

But any amount of gratitude changes the present.”

Remember, while we can’t change the past or control the future, we have the ability to shape our present through gratitude.

Embrace the power of now. Be grateful, stay present, take charge. Your positive actions today shape the meaningful life you’re creating.

37 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बहू और बेटी
बहू और बेटी
Mukesh Kumar Sonkar
दोस्त, दोस्त तब तक रहता है
दोस्त, दोस्त तब तक रहता है
Ajit Kumar "Karn"
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
రామయ్య రామయ్య
రామయ్య రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
सच जानते हैं फिर भी अनजान बनते हैं
सच जानते हैं फिर भी अनजान बनते हैं
Sonam Puneet Dubey
*नारी के सोलह श्रृंगार*
*नारी के सोलह श्रृंगार*
Dr. Vaishali Verma
जल जंगल जमीन
जल जंगल जमीन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दुखड़े   छुपाकर  आ  गया।
दुखड़े छुपाकर आ गया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
विजय या मन की हार
विजय या मन की हार
Satish Srijan
हमारे हाथ से एक सबक:
हमारे हाथ से एक सबक:
पूर्वार्थ
Maybe this is me right now
Maybe this is me right now
Chaahat
ज़िंदगी पर यक़ीन आ जाता ,
ज़िंदगी पर यक़ीन आ जाता ,
Dr fauzia Naseem shad
Every moment has its own saga
Every moment has its own saga
अमित
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
कवि रमेशराज
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
Ashwini sharma
"तेरी खामोशियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
क्रोध
क्रोध
ओंकार मिश्र
जल संरक्षण बहुमूल्य
जल संरक्षण बहुमूल्य
Buddha Prakash
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
कवि दीपक बवेजा
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
"मेरे देश की मिट्टी "
Pushpraj Anant
मतलब की इस दुनिया में वह पिता ही तो है, जो औलाद को बेमतलब प्
मतलब की इस दुनिया में वह पिता ही तो है, जो औलाद को बेमतलब प्
Ranjeet kumar patre
*आओ-आओ इस तरह, अद्भुत मधुर वसंत ( कुंडलिया )*
*आओ-आओ इस तरह, अद्भुत मधुर वसंत ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
*वो है खफ़ा  मेरी किसी बात पर*
*वो है खफ़ा मेरी किसी बात पर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बदलता साल
बदलता साल
डॉ. शिव लहरी
🙅समझ सको तो🙅
🙅समझ सको तो🙅
*प्रणय*
हम में,तुम में दूरी क्यू है
हम में,तुम में दूरी क्यू है
Keshav kishor Kumar
ख़ामोश सा शहर
ख़ामोश सा शहर
हिमांशु Kulshrestha
जीवन के लक्ष्य,
जीवन के लक्ष्य,
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
3054.*पूर्णिका*
3054.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...