Nदिल की भी यदि बात जरा सुन ही लेती
मैं जीवन की साध नई धुन ही लेती
दिल की भी यदि बात जरा सुन ही लेती
यदि मन की राहों पर चलना मिल जाता
ये जीवन फूलों के जैसा खिल जाता
मंज़िल चाहे मिलती या फिर ना मिलती
सपने तो इन आँखों में बुन ही लेती
दिल की भी यदि बात जरा सुन ही लेती
बँधी रही दुनियादारी के बंधन में
नहीं झाँककर देखा इस कोमल मन में
देख कल्पनाओं का लेती यदि नर्तन
सुन मैं भी घुँघरू की रुनझुन ही लेती
दिल की भी यदि बात जरा सुन ही लेती
डूबी रही सदा भावों के सागर में
मिला न कुछ भी मुझे समय की गागर में
थोड़ा सा यदि खुद को वक्त दिया होता
कुछ तो मोती खुशियों के चुन ही लेती
दिल की भी यदि बात जरा सुन ही लेती
23-11-2021
डॉ अर्चना गुप्ता